Waseem Khan

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शबाब और ख्वाब

वो आई शबाब की  तरह, 

दिल मे समाई ख्वाब की तरह, 
सारी गलती ही मेरी रख दी, 
फिर बाद मे सज़ा भी दी तो अज़ाब की तरह... 











Waseem 

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